गले में जिसके नाग , सिर पर गंग का निवास भजन भगवान शिव का
Tera Rup Hai Prachand Abhilipsa Panda Bhajan Lyrics
गले में जिसके नाग ,
सिर पर गंग का निवास
जो नाथो का है नाथ
भोले नाथ जी .........
करता पापो का विनाश
कैलाश पर निवास
डमरू वाला वो सन्यास
भोले नाथ जी
जो फिरता हारा हारा
उसको देता वो सहारा
तीन लोको का वो स्वामी
भोले नाथ जी
रख दे सर पर जिसके हाथ
उम्र चलती उसके साथ
ऐसा खेल है खिलाता
मेरा भोले नाथ जी,
जो माया से परे
तेरी छाया के तले
जो तपता दिन रात
उसको रौशनी मिले
केदार विश्वनाथ
मुझको जाना अमरनाथ
जहाँ मिलता तेरा साथ
मेरे भोलेनाथ
तेरा रूप है प्रचंड
तू ही आरम्भ तू ही अंत
तू स्रष्टी का रचियता
मेरे भोलेनाथ जी ...
मैं खुद हूँ खंड खंड
फिर केसा है घमंड
मुझे तुजमे है समाना
मेरे भोले नाथ जी
Gale Me Jiske Naag Sar Par Gang Ka Niwas Bhajan Lyrics
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