जरा सर को झुकाओ वासुदेव जी , कृष्ण यमुना भजन - Lakhbir Singh Lakkha Bhajan
Zara Sar Ko Jhukao Vasudev Ji Krishna Bhajan Lyrics . कृष्ण जन्म के बाद जब रात्रि में वासुदेव जी कृष्ण को टोकरी में डालकर मथुरा से नन्दगाँव जा रहे होते है तो उन्हें यमुना नदी को पार करना होता है . तब यमुना नदी वासुदेव जी क्या विनती करती है वो इस भजन में बहुत ही सुन्दर तरीके से बताया गया है .
इस भजन को भजन सम्राट लखबीर सिंह लक्खा ने गाया है .
Jara Sar Ko Jhukao Vasudev Ji Teri Bhajan Hindi Lyrics
जरा सर को झुकाओ वासुदेव जी ,
तेरी टोकरी में त्रिलोकी नाथ है
चूमने दो चरण मुझे प्रेम से ,
आज जमना की यही फ़रियाद है
**1**
राम बने गंगा तट लाँघे,
मारे थे अत्याचारी,
आज ये मुझको पार करेंगे,
मैं हूँ इनकी आभारी,
मेरी बूँद बूँद हरषात है,
छाई काली घटा बरसात है,
चूमने दो चरण मुझे प्रेम से,
आज यमुना की ये फ़रियाद है,
जरा सर को झुकाओ वासुदेव जी।
**2**
यमुना जी का धीरज टूटा,
उमड़ उमड़ कर आई है,
श्याम ने चरण बढ़ाएं आगे,
यमुना जी हरषाई है,
चरणों को लगाइ लीन्हो माथ है,
प्रभु प्रेम से धरो सिर पे हाथ है,
चूमने दो चरण मुझे प्रेम से,
आज यमुना की ये फ़रियाद है,
जरा सर को झुकाओ वासुदेव जी....
**3**
चूम लिए प्रभु के चरणों को,
मन ही मन में नमन किया,
वासुदेव जी गोकुल पहुँचे,
खुद ही रस्ता बना दिया,
बिन्नू जग में हुई प्रभात है,
लक्खा डरने की ना कोई बात है,
चूमने दो चरण मुझे प्रेम से,
आज यमुना की ये फ़रियाद है,
जरा सर को झुकाओ वासुदेव जी,
तेरी टोकरी में त्रिलौकी नाथ हैं,
चूमने दो चरण मुझे प्रेम से,
आज यमुना की ये फ़रियाद है.....
Jara Sar Ko Jhukao Vasudev Ji TeriVideo Bhajan
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